प्रयत्न और प्रार्थना, दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। एक दूसरे के बिना दोनों अधूरे हैं। किसी कार्य की पूर्णता के लिये दोनों की आवश्यकता है। प्राय: महिलायें केवल प्रार्थना करती हैं और पुरुष केवल प्रयत्न। प्रार्थना और प्रयत्न दोनों करना होगा।
प्रयत्न और प्रार्थना,
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